The Shadow of Caste

Caste never leaves us
Chasing us like a shadow wherever we go.
The harder we try to repel it,
The more furiously it hounds us.
Inside schools,
Within colleges,
It prowls everywhere.
The higher up we go
Caste is there,
Awaiting us.
To cities, if we move
It moves with us.
Haunting us
Beyond the boundaries of the country.
Crawling through the state assemblies
It has spread its tentacles in the Lok Sabha.
And then to the cremation grounds,
It trails and trails us
Until we are dead,
Killed mostly.
But even in death
It does not forsake us.
What a parasite, this caste is!
Latching on
Even to our dead bodies.
Because lives do not matter here,
Caste does!

जाति है की जाती नहीं
हम जहाँ जाते हैं साये की तरह साथ चलती है
हम जितना पीछा छुड़ाना चाहते हैं
जाति उतना पीछे ज़ोर से आती है
हम स्कूल जाते हैं जाति साथ आ जाती है
हम कॉलेज जाते हैं जाति वहाँ आ जाती है
हम जितना ऊंचा जाते हैं
जाति उससे भी ऊंची दिख जाती है
हम शहर जाते हैं
जाति भी पीछे – पीछे चली आती है
हम विदेश जाते हैं
जाति वहाँ भी आ जाती है
हम विधान सभा जाते हैं वहाँ भी
लोकसभा में भी चली आती है
यहाँ तक कि शामशान तक जाति आ जाती है
फिर हम मर जाते हैं ज्यादातर मार दिए जाते हैं
जाति मरने के बाद भी जाती नहीं
कैसी पिछलग्गू चीज़ है
हम खत्म हो जाते हैं पर जाति है कि जाती नहीं।
क्योंकि यहाँ जान की कीमत नहीं जाति की कीमत होती है.

Chintu Kumari is a PhD student at JNU.

Translated from Hindi by Naushin Rehman

Featured image credit: 愚木混株 Cdd20/ Pixabay